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पटाखों के शोर में डूबी दिवाली के बीच कोटमी सोनार में निर्मम हत्या



पटाखों के शोर में डूबी दिवाली के बीच कोटमी सोनार में निर्मम हत्या


छह माह में दूसरी वारदात, चौकी खुलने के बावजूद नहीं लगा अपराधों पर अंकुश


पुलिसिया गश्त पर उठे गंभीर सवाल


जांजगीर/अकलतरा। दीपावली की रात कोटमी सोनार चौकी क्षेत्र एक बार फिर रक्तरंजित हो उठा। दरवाजे पर पटाखा फोड़ने के मामूली विवाद ने इतना भयंकर रूप लिया कि एक व्यक्ति की निर्मम हत्या कर दी गई। छह माह के भीतर यह दूसरी हत्या है, जिसने इस क्षेत्र में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना कोटमी सोनार के रेलवे स्टेशन मोहल्ले की है, जहां लगभग 45 वर्षीय बालमुकुंद सोनी अपनी बुजुर्ग मां के साथ रहते थे। बताया जा रहा है कि दीपावली की रात उनके घर के सामने कुछ युवा पटाखे फोड़ रहे थे। पटाखों के तेज शोर से बालमुकुंद सोनी और उनकी मां को तकलीफ हुई। उन्होंने युवकों से पटाखे थोड़ी दूर जाकर फोड़ने का आग्रह किया। इस बात पर युवकों और बालमुकुंद के बीच हल्की बहस और झड़प हुई, जिसके बाद युवक मौके से चले गए। पटाखों के मामूली विवाद पर हुई इस हत्या ने एक बार फिर कोटमी सोनार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को उजागर कर दिया है। यह समझाना मुश्किल हो गया है कि विवादों के गढ़ बन चुके इस क्षेत्र में शांति कब स्थापित होगी। चौकी खुलने के बावजूद यदि दीपावली जैसी संवेदनशील रात में ऐसी जघन्य वारदातें हो रही हैं, तो यह सीधे तौर पर पुलिस की रात्रि गश्त और क्षेत्र में सूचना तंत्र की विफलता को दर्शाता है। पुलिस को जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा कर अपराधियों को गिरफ्तार करना होगा और साथ ही क्षेत्र में अपराधों पर प्रभावी लगाम लगाने के लिए अपनी रणनीति बदलनी होगी।


कमरे में मिली रक्तरंजित लाश


अगली सुबह जब बालमुकुंद सोनी की बुजुर्ग मां उन्हें देखने कमरे में गईं, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। बालमुकुंद सोनी की रक्त से सनी लाश कमरे में पड़ी थी। मां के शोर मचाने पर आस-पास के लोग इकट्ठा हुए और तत्काल कोटमी सोनार चौकी को सूचना दी गई। खबर मिलते ही अकलतरा थाना टीआई भास्कर शर्मा और कोटमी सोनार चौकी प्रभारी राजेंद्र सिंह क्षत्रिय तत्काल दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक फोरेंसिक टीम के भी मौके पर पहुंचने की संभावना थी, ताकि वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाए जा सकें।


राजनीति में सक्रिय था मृतक


मृतक बालमुकुंद सोनी अविवाहित थे और अपनी मां के साथ गांव में ही रहते थे, जबकि उनके दो अन्य भाई बाहर नौकरी करते हैं। पुलिस ने उनके परिजनों को सूचना दे दी है, जो कोटमी सोनार के लिए रवाना हो चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार, मृतक बालमुकुंद सोनी गांव की स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय रहते थे। वह निष्पक्ष मतदान को लेकर लोगों को नारे लिखकर जागरूक करने का प्रयास करते थे, जिससे उनके कई विरोधी भी थे। पुलिस अब इस कोण से भी जांच कर रही है कि कहीं इस हत्या के पीछे पुरानी राजनीतिक रंजिश तो नहीं है।


छह माह में दूसरी वारदात


सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि कोटमी सोनार में लगातार हो रहे विवादों और गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए ही यहां पुलिस चौकी खोली गई, लेकिन आपराधिक वारदातों में कमी आने के बजाय अब और बढ़ोतरी दिख रही है। यह महज छह माह के अंतराल में हुई दूसरी हत्या है। इससे कुछ माह पूर्व ही गांव के प्रकाश केंवट जो अमोरा के शाखा प्रबंधक थे उसके छोटे भाई की भी हत्या कर दी गई थी। वह हत्या अवैध संबंधों के कारण हुई थी।


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