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छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर माता बिलासा ने बसाया


मछुआरिन( केवट) से बनीं सौऱय की प्रतिमा, कैसे बिलासा दाई ने लिखा बिलासपुर का इतिहास? पढ़ें वीरांगना की गाथा


September 10, 2025, 12:14 IST

Bilaspur History: बिलासपुर का नाम एक वीर महिला बिलासा बाई के साहस और बुद्धिमत्ता पर रखा गया है. मछुआरिन से इतिहास की नायिका बनीं बिलासा बाई ने मुगल कैद से राजा कल्याण सिंह को छुड़ाया. जानिए कैसे छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर का नाम पड़ा..

भारत के कई शहरों का नाम किसी न किसी व्यक्ति, परंपरा या विशेषता से जुड़ा हुआ है. इन्हीं में से एक है छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर, जिसका नाम एक ऐसी वीर महिला बिलासा दाई के नाम पर रखा गया, जिसने अपनी बुद्धिमत्ता और साहस से राजा को मुगल कैद से छुड़ाया. यह कहानी सिर्फ एक शहर के नाम की उत्पत्ति नहीं, बल्कि महिला शक्ति और संघर्ष की अमर गाथा है.

एक मछुआरिन से बनीं इतिहास की शेरनी

निषाद समाज से ताल्लुक रखने वाली बिलासा बाई पेशे से मछली पकड़ती थीं, लेकिन उनकी वीरता और तेज बुद्धि ने उनकी इतिहास बना दिया। यही वजह है कि आज पूरा जिला उनके नाम से जाना जाता है।

कभी छत्तीसगढ़ की राजधानी और सत्ता का केंद्र था।

करीब 400 साल पहले बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर रतनपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी. उस समय यहां राजा कल्याण सिंह का शासन चलता था. इतिहासकारों के अनुसार, किसी विवाद के चलते दिल्ली के सम्राट शाहजहां ने रतनपुर के राजा कल्याण सिंह को कैद करवा दिल्ली बुला लिया था. राजा की रिहाई के लिए जब सेनापति और मंत्री दिल्ली पहुंचे तो उनके साथ बिलासा बाई भी गईं. उन्होंने मुगल शासक से सीधे संवाद कर अपने तर्कों और बुद्धिमत्ता से उसे प्रभावित कर दिया।कैद से आजाद हुए राजा कल्याण सिंह।

बिलासा दाई की साहसिक पहल और निर्भीकता से प्रभावित होकर शाहजहां ने राजा कल्याण सिंह को रिहा कर दिया. राज्य लौटने पर राजा ने उनका सम्मान किया और शहर का नाम उनके नाम पर रखा. वहीं दूसरी ओर इतिहासकार डॉक्टर सोमनाथ यादव ने बताया कि जब राजा बिलासपुर शिकार करने के लिए आए थे तब एक सूअर के हमले से हुए घायल हो गए थे जिसका उपचार बिलासा देवी और उनके परिवार के लोगों ने किया. जिससे खुश होकर राजा ने इस क्षेत्र का नाम बिलासा देवी को समर्पित करते हुए, उनके नाम से रख दिया जिसके बाद बिलासपुर का नाम बिलासपुर पड़ा.

जूना बिलासपुर से न्यायधानी बनने तक की यात्रा

शुरुआत में सिर्फ जूना बिलासपुर क्षेत्र ही इस नाम से जाना जाता था. समय के साथ बस्तियां बढ़ीं और पूरा जिला बिलासपुर कहलाने लगा.

मोहल्लों के नाम भी बताते हैं अपनी पहचान

तालापारा : ताला-चाबी बनाने वालों के कारण पड़ा नाम.

मसानगंज : श्मशान घाट के कारण पड़ा नाम.

सरकंडा : सरकंडे की घास से प्रभावित होकर रखा गया नाम.

महिला शक्ति की अमर गाथा

इतिहासकार डॉ. सोमनाथ यादव और शोधकर्ताओं का मानना है कि बिलासा बाई की वीरता ने न सिर्फ राजा को आजादी दिलाई बल्कि महिला शक्ति की अमर गाथा भी लिख दी.


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