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भारतीय किसान संघ के छत्तीसगढ़ प्रदेश के आह्वान पर 18 सितंबर को तहसीलदार को सौंपेंगे ज्ञापन

नौ सूत्रीय मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को सौंपेंगे ज्ञापन

जांजगीर चांपा जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने दी जानकारी

भारतीय किसान संघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के आह्वान पर प्रदेश के प्रत्येक तहसील में खाद, बिजली, पानी की समस्या को लेकर नौ सूत्रीय मांग मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को 18 सितंबर दिन गुरुवार को सौंपा जाएगा ।

भारतीय किसान संघ जिला जांजगीर चांपा के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि प्रदेश में ये तीनों समस्याएं विकराल रुप धारण करते जा रही हैं। खाद के लिए प्रदेश में मारामारी हो रही है, किसान खाद महंगे दामों में लेने हेतु विवश हो गया है। बिजली कटौती से किसान त्रस्त है। नहरों का पानी अंतिम गांवों तक पहुंच नहीं पाया है ऐसे में छत्तीसगढ़ का किसान खेती कैसे कर पायेगा? ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रशासन व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, अधिकारी मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं, भ्रष्टाचार चरम पर है और इसे रोक पाना असंभव दिखाई देता है।


श्री संजय सिंह ने आगे कहा कि प्रदेश के शोषित, पीड़ित किसानों की मांग है कि किसानों के इस प्रदेश में किसानों का शोषण बंद होना चाहिए एवं उनकी समस्याओं का तत्काल निराकरण होना चाहिए। यदि किसानों को तत्काल राहत नहीं मिली तो भारतीय किसान संघ बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा।


किसानों की प्रमुख समस्याएं व मांगें-


1. खाद की कालाबाजारी बंद हो एवं सहकारी समितियों में भंडारण सुनिश्चित हो।


2. बिजली कटौती पूर्णतः बंद हो तथा घरेलू बिजली पर पुनः हाफ बिजली बिल योजना लागू की जाए।


3. प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाया जाए तथा नहरों का पानी अंतिम गांव तक पहुंचे, ऐसी व्यवस्था हो।


4. पिछले सरकार न्याय योजना की बकाया चौथी किश्त की राशि दीपावली से पूर्व भुगतान की जाए।


5. धान की राशि प्रति क्विन्टल ₹3100 में केन्द्र सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में की गयी ₹186 की बढोत्तरी को जोड़कर ₹3286 का भुगतान किया जाए व धान खरीदी 1 नवंबर से प्रारंभ की जाए।


6. दलहन, तिलहन की खेती पर प्रति एकड़ ₹20 हजार अनुदान दिया जाए तथा रबी में दलहन, तिलहन, मक्का एवं सूरजमुखी की खरीदी की जाए।


7. कृषक उन्नति योजना में गन्ना फसल को जोड़ा जाए।


8. जैविक खेती में जो अनुदान भारत सरकार देती है उसे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों को दिया जाए।


9. धान खरीदी में किसानों से प्रति बोरी 40.700 किलोग्राम धान से अधिक नहीं लिया जाए एवं सरकारी विज्ञापनों में तथा सभी समितियों में यह बैनर द्वारा अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किया जाए।


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